मौसम अनुकूल कृषि तथा फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर परिचर्चा में बोले कृषि मंत्री
कहा-पर्यावरण संकट को लेकर राज्य में उठाये जा रहे कारगर कदम

पटना। जल होगा तो हरियाली होगी और हरियाली होगी तो जीवन होगा। इसलिए जल-जीवन-हरियाली अभियान प्रदेश ही नहीं, विश्व के प्रत्येक मानव का अभियान बनना चाहिए।

उक्त बातें कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने बुधवार को को बामेती में जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत जल-जीवन-हरियाली दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।

इस कार्यक्रम में किसानों की आवश्यकता के मद्देनजर मौसम अनुकूल कृषि तथा फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर परिचर्चा की गई।

इसमें बिहार के सभी 38 जिलों से पदाधिकारी एवं किसानगण भी वेबकास्टिंग के माध्यम से जुड़े थे। इस अवसर पर मंत्री ने कहा कि अंधाधुंध प्रकृति के दोहन के कारण वातावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। कोयला, डीजल, पेट्रोल आधारित परिवहन और उद्योग से निकलने वाले ग्रीन हाउस गैस के कारण वायुमंडल का तापमान लगातार बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के फलस्वरूप खाद्यान्न सुरक्षा के क्षेत्र में देश ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह कृषि वैज्ञानिकों एवं देश के करोड़ों किसानों के अथक परिश्रम के कारण संभव हुआ है। हरित क्रांति का दुष्परिणाम भी अब स्पष्ट हो रहा है।

कृषि के क्षेत्र में अंधाधुंध कृषि रसायन, खाद और कीटनाशी के प्रयोग किया जा रहा है। शुरू में इसकी आवश्यकता महसूस की गयी, क्योंकि बढ़ती आबादी को खाद्यान्न सुरक्षा के लिए आधुनिक बीज और उर्वरक की आवश्यकता थी। परन्तु इस प्रवृत्ति ने एक ऐसे संकट को जन्म दिया, जिसकी हम परिकल्पना भी नहीं कर सकते थे।

हरित क्रांति के प्रदेशों में कैंसर ट्रेन चल रहा है, जो बहुत ही दूर्भाग्यपूर्ण है। कृषि मंत्री ने आगे बताया कि पर्यावरण के संकट को राज्य सरकार ने समय से पहचाना है और इसके लिए कारगर कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत सार्वजनिक जल संरचनाओं, तालाब, पोखर, कुआं, नदी, नाला, आहर, पाइन के जीर्णोंद्धार के साथ-साथ नये जल-स्रोतों का सृजन किया जा रहा है।

सरकारी भवनों की छत पर वर्षा जल के संचयन तथा सौर ऊर्जा को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत कृषि विभाग के द्वारा जैविक खेती, मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम, फसल अवशेष प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई, खेत में जल संचयन, जलछाजन के विकास के लिए नये जल स्रोतों के सृजन का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

मंत्री ने कहा कि मौसम अनुकूल खेती के लिए सभी जिलों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ड्रीप तथा स्ंिप्रकलर सिंचाई को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है। जलछाजन क्षेत्रों में नये जल स्रोतों के सृजन के लिए 90 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान किया गया है। विभागीय सचिव डॉ एन सरवण कुमार ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान राज्य सरकार की प्राथमिकता में है।

जल-जीवन-हरियाली अभियान में सराहनीय योगदान के लिए शिखा श्रीवास्तव, प्रबंधन निदेशक, कॉम्फेड को पुआल से बने पशुचारा का उपयोग दुग्ध समितियों को उपलब्ध कराने, डॉ आर के जलज, कृषि विज्ञान केन्द्र, रोहतास को पुआल से पशुचारा बनाने तथा बायोचार हेतु, सुधांशु कुमार, प्रगतिशील किसान, पटना को पशुचारा उपयोग, प्रेम प्रकाश, प्रगतिशील किसान को जलछाजन में योगदान, सर्वजीत मिश्रा, प्रगतिशील किसान, बक्सर को जैविक खेती तथा सुधांशु कुमार, प्रगतिशील किसान, समस्तीपुर को सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा हेतु मोमेन्टो एवं प्रशस्ति-पत्र दिया गया। इस अवसर पर विशेष सचिव, विजय कुमार, कृषि निदेशक सावन कुमार, निदेशक, उद्यान नन्द किशोर, निदेशक, भूमि संरक्षण बैंकटेश नारायण सिंह सहित कृषि एवं अन्य विभागों के पदाधिकारीगण, कृषि वैज्ञानिक तथा प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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