भोजपुरी फिल्मों के सफल लेखक व निर्देशक प्रमोद शास्त्री जल्द ही एक बड़े बजट की फ़िल्म ‘आन बान और शान’ लेकर आ रहे हैं, बावजूद इसके उन्हें लगता है कि भोजपुरी सिनेमा का भविष्य चिंताजनक है। रब्बा इश्क ना होवे, छलिया, प्यार तो होना ही था, जैसी बड़ी और हिट फिल्में देने वाले लेखक – निर्देशक प्रमोद शास्त्री अपने करियर के अनुभव के आधार पर इंडस्ट्री को बड़े करीब से देखा है। इसलिए इंडस्ट्री के बारे में मुखरता से अपनी राय भी रखते हैं। ऐसे में हमने उनसे उनकी फिल्म और उनके बारे में बातचीत की। पेश है प्रमोद शास्त्री से बातचीत के कुछ अंश :

सवाल : भोजपुरी सिनेमा के बारे में आपकी राय क्या है और इसका भविष्य आप कहां देखते हैं ?

प्रमोद शास्त्री : भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री को लेकर मेरी राय बिल्कुल क्लियर है। मुझे भोजपुरी सिनेमा का भविष्य बहुत चिंताजनक लगता है। भोजपुरी में अल्बम की अलग दुनियां है, जहां अश्लील भड़कीले और द्विअर्थी गानों की भरमार है। इसका असर सिनेमा पर भी पड़ता है, क्योंकि अधिकतर वल्गर – तथ्यहीन गाना गाने वाले आगे चलकर फिल्मों के हीरो होता हैं। प्रोड्यूस का दबाव होता है कि ऐसे गायकों की लोकप्रियता को फ़िल्म में भुनाया जाए। प्रोड्यूसर का प्रेशर हर वक़्त होता है कि हीरो लोकप्रिय और सफल है, इसलिए हीरो जो सोच रहा है, वह सही है। न चाहते हुए भी यहां लगभग सभी लेखक – निर्देशक समझौता करने को मजबूर हैं। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि भोजपुरी सिनेमा का भविष्य कुछ वर्ग के दशकों के हाथ में झूल रहा है।

सवाल : तो क्या भोजपुरी में अच्छे और प्रतिभाशाली लोग नहीं हैं, जो भोजपुरी सिनेमा को बेहतरी की ओर ले जाये?

प्रमोद शास्त्री : ऐसा नहीं है। यही फ़िल्म इंडस्ट्री अच्छे लेखक – अच्छे निर्देशक और अच्छे चरित्र अभिनेताओं से भरी पड़ी है। अगर कमी है तो समर्पित निर्माता की। अच्छे डिस्ट्रीब्यूटर की और बढिया सिनेमा हाल की, जो चंद रुपयों की लालच के चलते अच्छे कथानक के साथ मराठी, तमिल, तेलुगू, मलयालम सिनेमा के जैसे बड़े कैनवास की भोजपुरी फिल्म बनावाने, बेचने, और डिस्ट्रीब्यूशन के अभाव में जी रहे हैं। जबकि भोजपुरी भाषी दर्शकों की संख्या लगभग 40 करोड़ से अधिक है, बस एक बार हिम्मत करने की जरूरत है।

सवाल : आप युवा हैं। आपकी पर्सनैलिटी शानदार है। फिर भी अभिनय के ऊपर ने निर्देशन को चुना। कोई खास वजह ?

प्रमोद शास्त्री : मैं उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ जिले का मूल निवासी हूं। मैंने स्नातकोतर तक पढाई की, लेकिन शास्त्री की डिग्री लेने के बाद मैं प्रमोद शास्त्री के रूप में जाना जाने लगा। मेरे पिताजी एक साधारण किसान और मां एक सीधी-सादी घरेलू महिला है। मैंने अपनी पढाई के दौरान ही लेखन की शुरुआत कर दी। मेरे दादा जी वैद्य पंडित श्री नारायण शास्त्री बहुत ही विद्वान थे। उनकी लेखन में गहरी पकड़ थी और उनका व्यापक प्रभाव मेरे ऊपर पड़ा। मेरी पढाई के दौरान ही मेरे द्वारा लिखे गए कुछ नाट्य काफी पापुलर हुए जिनमे से प्रमुख नाट्य हैं– सम्राट अशोक का शस्त्र परित्याग, राखी की मर्यादा। लेकिन निर्देशक बनने के तरफ मेरा ध्यान कुछ प्रमुख हिंदी फिल्मों के निर्देशकों के इंटरव्यू सुनने के बाद आया, जिनमे से प्रमुख नाम सुभाष घई, प्रकाश मेहरा और राकेश कुमार का हैं। मसलन मैं इन सभी निर्देशकों से बहुत प्रभावित हुआ और एक सफल निर्देशक बनने की ओर अपना कदम बढाया।

सवाल : थोड़ा आप अपने फिल्मी करियर के बारे में बताएं कि कहां से आपकी शुरुआत हुई और अब तक कितनी फिल्में कर चुके हैं?

प्रमोद शास्त्री : मैं मुंबई प्रथम बार सन् 2001 में आया।  मुझे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर अदाकारा प्रियंका चोपड़ा के मेकअप मैन सुभाष का काफी सहयोग मिला। उन्होंने ही मुझे पहली बार सहायक निर्देशक के रूप में काम दिलवाया, इसके बाद मैंने अलग-अलग छः भाषाओ में लगभग 16 फिल्मे सहायक लेखक व सह निर्देशक के रूप में की, जिसमे तारीख द फाइनल डे, इक जिंद एक जान एवं भूमिपुत्र प्रमुख है। मैंने 2019-20 में डीडी. किसान चैनल के लिए “किसके रोके रुका हैं सवेरा” नामक सीरियल का निर्माण किया। सीरियल का मूल उद्देश्य देश के किसानों के मौलिक अधिकारों तथा उनकी समस्याओं के निदान और भारत सरकार द्वारा उनके लिए चलाई गई नई स्कीमों के बारे में जानकारी देना था

भोजपुरी में मेरी पहली फ़िल्म बतौर निर्देशक ‘रब्बा इश्क न होबे’ थी, जो 2017 में आई थी।  इस फिल्म की प्रोड्यूसर कनक यादव, प्रस्तुतकर्ता गौतम सिंह और नायक अरविन्द अकेला “कल्लू” तथा नायिका कनक यादव और रितू सिंह थे। अभी तक मेरे डायरेक्शन की तीन भोजपुरी फिल्में रब्बा इश्क न होबे (सन2017), छलिया (सन2019) और प्यार तो होना ही था (2020) रिलीज हो चुकी है, जो लोगो के बीच काफी लोकप्रिय रही हैं।

सवाल : आगे आने वाली आपकी फिल्में कौन – कौन सी होंगी। साथ ही ये बताएं कि आपके फेवरेट हीरो कौन हैं, जिनके साथ आप करना चाहेंगे?

प्रमोद शास्त्री : अभी मेरे द्वारा निर्देशित भोजपुरी फिल्म “आन बान शान” रिलीज होने वाली है जो लगभग बनकर तैयार है। उसके बाद “साम दाम दंड भेद” आएगी, जिसकी शूटिंग की तैयारियां चल रही है। अब तक मेरी लगभग सभी फिल्मों के लेखक मेरे साथ साथ एस. के. चौहान हैं, जिनका बेहद सार्थक सहयोग मिलता है। हमारी दोनों फिल्में काफी अच्छी है और उससे हमें काफी उम्मीदें हैं। इसके आलावा निर्माता गौतम सिंह की एक बड़े बजट की हिंदी फिल्म आएगी, जिसका लेखन कार्य अभी चल रहा है।

मेरी हर फिल्म में मेरे पसंदीदा नायक और नायिका बदलते रहते जो कलाकार अपने करैक्टर में पूरी तरह से फिट हो जाता है और अपना रोल बख़ूबी निभाता है वही मेरा पसंदीदा कलाकार बन जाता है। इसलिए ये कहना कि कोई मेरा आलटाइम फेवरेट कलाकार है अतिश्योक्ति होगी।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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