पटना, 2 मार्च, 2021: सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एन्ड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने आज वेबिनार के जरिए एक रिपोर्ट ‘डीआरई फॉर पावरिंग हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इन बिहार’ जारी किया, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने और कोविड-19 महामारी के दौर में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीआरई) की व्यापक भूमिका को प्रस्तुत करना है। इस रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा बिहार के विकास का मुख्य आधार बन सकती है और राज्य में स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करने और उद्यम गतिविधियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. यह रिपोर्ट अक्षय ऊर्जा के विकेन्द्रीकृत मॉडल्स के जरिए स्वास्थ्य केंद्रों में प्रभावी सुधार लाने के साथ-साथ राज्य के सर्वांगीण विकास लक्ष्यों को भी सततशील ढंग से पूरा करने पर जोर देती है।

वेबिनार को संबोधित करते हुए और सीड के प्रयासों की सराहना करते हुए माननीय श्री मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार ने कहा कि “सात निश्चय-2 के तहत सबों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना राज्य सरकार की सर्वोपरि प्राथमिकता है। हम राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को डीआरई सोल्यूशंस से मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. बिहार सरकार इस रिपोर्ट की मुख्य सुझावों और सिफारिशों को गंभीरता से लेगी और तदनुरूप लागू करेगी, ताकि राज्य के जन-जन तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का व्यापक प्रसार हो।”

सीड के द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में पहली बार राज्य के ग्रामीण और शहरी जनस्वास्थ्य केंद्रों में व्याप्त ऊर्जा की कमी को चिन्हित करते हुए इसे बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य और ऊर्जा के एकीकरण (हेल्थ और एनर्जी इंटीग्रेशन) की भूमिका का आकलन किया गया है। सीड की यह स्टडी रिपोर्ट बताती है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में डीआरई की 266 मेगावाट की सम्भावना है और यह राज्य में स्थानीय स्तर पर 13,173 नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है। इसके अलावा इस अध्ययन का आकलन है कि राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में डीआरई से 2470 करोड़ रुपये की निवेश सम्भावना है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के संकटपूर्ण समय में डीआरई सोल्यूशंस पर्यावरणीय संबंधी लाभों के साथ करीब 11,20,414 टन कार्बन उत्सर्जन बचाने में योगदान दे सकता है।

इस अवसर पर श्री अश्विनी अशोक, हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड ने कहा कि “कोविड-19 के इस चुनौतीपूर्ण समय में अक्षय ऊर्जा बिहार के स्वास्थ्य केंद्रों में ऊर्जा उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाओं की आम जन तक पहुंच के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करने में सक्षम है. दरअसल हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का सोलराइजेशन राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने और सभी लोगों के हेल्थ कवरेज को पूरा करने की मुख्य कुंजी है। हेल्थ और एनर्जी इंटीग्रेशन पूरा करने और अक्षय ऊर्जा के व्यापक विस्तार हेतु निवेश आकर्षित करने और एक समर्थनकारी माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार को एक दूरदर्शी रोडमैप तैयार कर इसे अविलंब लागू करना चाहिए।”

सोलर सॉल्यूशन द्वारा हेल्थकेयर सेंटर में निभाई गई सशक्त भूमिका की पुष्टि करते हुए डॉक्टर्स फॉर यू के संस्थापक डॉ रविकांत सिंह ने कहा, “मैंने खुद देखा है कि सौर ऊर्जा आधारित समाधान स्वास्थ्य केंद्र में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर सकते हैं। पटना के मसाढ़ी स्थित विस्टेक्स हॉस्पिटल इसकी मिसाल है, जहां सौर ऊर्जा संचालित 50 बेड का कोविड केयर सेंटर सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है. यह 15 kWp सौर ऊर्जा संयंत्र द्वारा संचालित 100% ऑफ-ग्रिड सिस्टम है, जहां आईसीयू और ओपीडी सेवाएं, लैब टेस्ट और स्टाफ कोरेन्टीन सुविधाएं डीआरई समाधानों के द्वारा बेहतरीन ढंग से चल रही हैं। मैं राज्य सरकार से आग्रह करता हूं कि बेहतर कोविड केयर मैनेजमेंट के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों में डीआरई एप्लीकेशंस के राज्यव्यापी विस्तार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।”

कोविड-19 द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के सन्दर्भ में डीआरई समाधान स्वास्थ्य केंद्रों के ऊर्जा संकट को हल करने के साथ साथ अभी ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक कोरोना के कोल्ड वैक्सीन मैनेजमेंट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली की पहुंच स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और दूरदराज के केंद्रों में कर्मचारी को मुस्तैद बनाये रखने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्धारक तत्व है।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में डीआरई एप्लीकेशंस की सकारात्मक भूमिका की प्रशंसा करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के नेशनल प्रेसिडेंट, डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि “ग्रामीण अस्पतालों में डीआरई समाधान सामान्य और आपात स्थिति के दौरान भी सेवाएं प्रदान कर सकते हैं, जैसे वैक्सीन रेफ्रिजरेटर, बेबी वार्मर और पोर्टेबल हेल्थ केयर किट आदि की सुविधाएँ प्रदान करने में यह बेहद उपयोगी हैं। मैं राज्य सरकार, आईएमए के सदस्यगणों और निजी अस्पताल प्रशासकों से आग्रह करता हूं कि वे अपने स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में डीआरई को तेजी से अपनाएं और उनका उपयोग करें। ऐसा करने से राज्य के हेल्थ इंडीकेटर्स में काफी सुधार आयेगा।”

इस वेबिनार के पैनल डिस्कशन में स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों ने भाग लिया, जिसमें बिहार वॉलेंटरी हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ मृदुल कुमार सहनी, शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन में प्रोग्राम मैनेजर सुश्री सृष्टि महाजन और एम्स, पटना के कम्यूनिटी एवं हेल्थ फैमिली मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ चंद्रमणि सिंह आदि शामिल थे। वेबिनार में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि जनस्वास्थ्य क्षेत्र में डीआरई सोल्यूशंस का राज्यव्यापी विस्तार होना चाहिए। शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित हुए इस वेबिनार में स्वास्थ्य, ऊर्जा और ग्रामीण विकास जैसे सरकारी विभागों के प्रमुख प्रतिनिधियों, नेशनल हेल्थ मिशन, स्टेट हेल्थ सोसाइटी, बिहार रिन्यूएबल एनर्जी डेवेलपमेंट एजेंसी के प्रतिनिधियों, डीआरई डेवलपर्स, थिंक-टैंक, शिक्षाविद, सामाजिक संगठनों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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